यहाँ से चुने
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Wednesday, 13 December 2017
Success Habit
Start Fresh
- Recall that some old habit, didn't take you in the direction You want.
- Identify and acknowledge your negative habit.
I.e. Data is bad, client will pay, system not working proper etc
Opportunity
- Chose an opportunity or despair
In terms of sales we have different types opportunity. A sales person have to set up each process to take serveral step.
I.e. A lot can over a coffee (CCD Punchline)
Work with what you have
- Acquiring tools deal with challenger, guarantees success.
Different between success and failure
- Success people habitually do thing that lead to success, but failures do not.
- Observe the habit of successful people
- Then develop those habit as a standard part of your life.
(Where as standard is not just a thing what u are wearing, what you are eating, what is your living lifestyle, it is totally based in terms of skill, what you really have to do something betterment. What is your unique identifications to represent yourself)
Commitment to build daily
- Stick with job till you complete it
- Develop a habit of committing your work daily.
Becoming a new person
- Belive in your self
- Become a new person, believe that you are new man with a new life
For example Surgical strike done through indian army. If they were think that it is very risky task or If they were not confident himself then that was very difficult to examine. He had confident to set their target and successfully achieve them.
Work in progress 😝
Love
Sunday, 3 December 2017
डिस्क्लेमर:
मेरा उद्देश्य पुलिस प्रशासन अथवा यातायात नियमों पर उँगली उठाना नही है, यह एकमात्र काल्पनिक लेख एवं मेरा व्यक्तिगत बिचार है। इसका सम्बन्ध किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से नही है। यदि किसी के जीवन ऐसी घटनाऐ घटी हो तो वो एकमात्र संयोग है।
आज सुबह सेविंग करा के पापस घर लौट यहा था, मेरे दिमाग मे शहर से कही बाहर घूमने का बिचार चल रहा था, मेरी नजर शहर के एक पाॅश चौराहे के झुंड पर पडी, जो ट्रैफिक और भीडभाड वाले चौराहे मे से एक था।
रविवार का दिन सुबह का समय इस वजह से ट्रैफिक (भीड़) कम थी, मै थोड़ा और करीब पहुंचा देखा वो भीड़ ट्रैफिक हवलदार और उनके चंगुल मे फसे कुछ बाईक सवार थे, जिन्हे शायद अधूरे कागजात एवं हेल्मेट न पहनने के ऐवज में रोका गया था जो अपने गुठने टेक ट्रैफिक हवलदार के सामने अपनी रिहाई की गुहार लगा रहे थे।
मै जैसे ही और करीब पहुंचा उसमे से दो हवलदार बीचोबीच सडक पर खडे होकर मुस्तैदी से अपनी पोजिशन ले ली मानो जैसे उनका अगला शिकार मै ही था, अचानक मेरा ध्यान मेरी जेब पे गया मुझे याद आया कि मेरी जेब से सिर्फ एक ही नोट था जिसकी बदौलत इस वीकेंड मैं पहले ही कई प्लान बना चुका था। जिसे मै किसी भी कीमत पर कैंसिल नही करना चाहता था।
मेरी गलती ही क्या थी ? सुबह के समय घर से महज 1.5 किलोमीटर दूर बिना हेल्मेट गाड़ी चलाना। हाँ मालूम है बिना बिना हेल्मेट गाडी चलाना यातायात नियमों के विरूद्ध है। वैसे आये दिन मै और आप भी पुलिस या ट्रैफिक हवलदार को बिना हेल्मेट गाडी चलाते देखते होंगे, कितनी बार तो 3 लोगो की सवारी करते भी देखा है आप लोगो ने भी देखा होगा।
मजबूरी या वजह कुछ भी हो ऐसा करने की लेकिन ये कानूनन यातायात नियमों का उल्लंघन है।
हम यातायात नियमों की अवहेलना नही करते और करना भी चाहिए। मुझे पूरा यकीन था कि मेरी मजबूरी या फिर बिना हेल्मेट गाड़ी चलाने का कारण कोई नही जानेगा। जानेंगे भी क्यो ? जो कानूनन अपराध है। कानून तो सबके लिए एक होता है, फिर भी उनकी नाक के नीचे से कितने लोग बिना हेल्मेट के गाडी लिए निकल रहे थे, शायद ऐसा इस लिये हो रहा था क्योंकि पुरानी झुंड का जमावड़ा खत्म नही हुआ था, कोई पैसे के जुगाड़ मे लगा था तो कोई कम पैसे दे के रिहाई की गुजारिश मे लगा था।
फिर क्या मै उस भीड़ का हिस्सा नही बनना चाहता था, मै भी अपनी छुट्टी यू ही व्यर्थ नही जाने देना चाह रहा था, मै अपना रास्ता बदल लिया।
वहा उनके चंगुल से बच के निकलना इतना आसान नही था लेकिन भुक्तभोगी होनी की वजह से ज्यादा मुश्किल भी नही था। मैंने अपना रास्ता क्यो बदला इसका अंदाजा उन्हे बखूबी पता था, अगर उनके इरादे नेक होते तो मेरा पीछा करते लेकिन ऐसा नही हुआ, शायद वो भी अपने वीकेंड की तयारी मे थे तभी कलेक्शन का काम जोरो पे था। वो अपनी मर्जी के मुताबिक कानून की आड मे अपना हाथ साफ कर रहे थे। जिन्हे चालान काटने का कानूनन हक नही होता है। खैर---
अपनी सैलरी से ऐश-ऐ-मौज करना हर किसी की फितरत मे नही होता, कानून उनके हाथ मे है जब चाहे जैसा चाहे इसका इस्तेमाल कर कम वक्त मे भी मोटी कमाई की जा सकती है तो फिर वेतन के पैसे से मौज मस्ती करने की क्या जरूरत।
मैं करीब 1 घन्टे बाद उसी रास्ते से दूसरी ट्रैक से गुजरा उस वक्त वहा चेकपोस्ट का नामोनिशान नही था। मेरा रास्ता बदलना इन कानूनी ढ़कोसलो के बिल्कुल अनुकूल था।
मेरे इस लेख का एकमात्र उद्देश्य यही है कि आप अपनी कल्पना का इस्तेमाल कर किसी भी व्यक्ति वस्तु अथवा संस्थान को किसी भी रूप मे प्रकाशित कर सकते है। चाहे वो मेरे देश का इतिहास ही क्यो न हो। हम अपनी कल्पना का इस्तेमाल कर किसी की भी सच्चाई को तोड मरोड़कर पेश कर सकते है। बस जरूरत होती है उस दिशा के आंकलन की कहा से हमे अपनी टीआरपी ज्यादा मिलने की गुंजाइश है।
इसका ताजा उदाहरण विवादास्पद फिल्म "पद्मावती"
जिसमे खुद की कल्पना घुसेड कर इतिहास को गलत तरीके से तोड मरोड़कर कर प्रदर्शित करने की कोशिश की गई।
धन्यवाद!
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